Thursday, May 2, 2024
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मानसिक,शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ चरित्र निर्माण के लिए योग श्रेष्ठ

राज्यपाल को ज्ञापन देकर योग को शिक्षा में अनिवार्य विषय बनाने की हिमाचल प्रदेश योगासन खेल संघ की मांग

शिमला:  हिमाचल प्रदेश योगासन खेल संघ ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मांग की है कि योगासन को स्कूल से लेकर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाए। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने आज राजभवन में उनसे भेंट कर उन्हें योग के प्रचार प्रसार में संस्था के योगदान से अवगत कराया।
प्रदेश योगासन खेल संघ के महासचिव विनोद योगाचार्य ने बताया कि राज्यपाल ने संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि योगासन को जीवनचर्या का हिस्सा बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि योग संपूर्ण विश्व के लिए भारत का सबसे बड़ा उपहार है। इससे  व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि चरित्र भी श्रेष्ठ रहता है।
उन्होंने योग को एक विषय के रूप में पढ़ाने के बारे में आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। उनका कहना था कि योग का अभ्यास करने वाले बच्चे और युवा स्वाभाविक रूप से नशे की बुराई से दूर रहेंगे। उन्होंने भारत सरकार द्वारा योगासन को खेल के रूप रूप में मान्यता दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रोफेसर जीडी शर्मा ने राज्यपाल से कहा कि भारत सरकार की ओर से विश्व में योग के प्रचार प्रसार के लिए इंडोनेशिया में नियुक्ति के दौरान उन्होंने अनुभव किया कि योग के प्रति विदेशियों में बहुत अधिक आकर्षण है। यदि भारत की नई पीढ़ी को प्राथमिक विद्यालय स्तर से योग के साथ जोड़ दिया जाए तो नया भारत अधिक स्वस्थ, सशक्त और स्वावलंबी
बन सकता है।
प्रतिनिधिमंडल में हिमाचल प्रदेश योगासन खेल संघ के चेयरमैन प्रोफेसर जीडी शर्मा के साथ अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी-प्रो.पी के अहलूवालिया, पंकज डडवाल, प्रो.अजय श्रीवास्तव और विनोद योगाचार्य शामिल थे।
राज्यपाल को प्रतिनिधिमंडल ने अवगत कराया कि संस्था ने हिमाचल प्रदेश में पहली बार राज्य योगासन खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया। कोरोना संक्रमण के कारण यह प्रतियोगिता ऑनलाइन कराई गई। इसके 18 विजेता खिलाडियों ने राष्ट्रीय योगासन खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।

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