शिमला,19 अगस्त: रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसका सभी को इंतज़ार रहता है। खास कर छोटे उम्र के बच्चों में रक्षाबंधन के त्यौहार को लेकर खासी उमंग देखने को मिलती है। मैंने जहां अपने भाई के लिए मंगल कामनाओं के साथ उनकी कलाई पर राखी बांधती है वही भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं।
पिछले साल से हर त्यौहार पर कोविड की मार पड़ी है और इस वर्ष भी कुछ त्यौहार कोविड की भेंट चढ़ गए हैं लेकिन इस त्यौहार पर कोरोना की मार का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। बहनों में अपने भाई की कलाई में राखी बांधने का उत्साह बरकरार है। बहनें कोरोना महामारी के बावजूद भी राखी की खरीददारी कर रही हैं हालाकिं बाजार में इतना रश नहीं है क्योंकि अभी राखी के त्यौहार को दो दिन शेष हैं। जिससे बाजार में रौनक लौटने के आसार हैं वहीं दुकानदारों को भी इस वर्ष अच्छे व्यापार की उम्मीद है।

रेशम की डोरी से पहचाने जाने वाले त्योहार के लिए राजधानी शिमला की छोटी बड़ी दुकानों में खूबसूरत रंग-बिरंगी राखियां सज चुकी हैं। रेशम,तुसली,चंदन के धागों से लेकर जड़ाऊ राखियां बाजार में पहुंच चुकी हैं। 5 रुपये के सूती धागे से लेकर 800 रुपये मूल्य तक की राखियां बाजार में उपलब्ध हैं। सभी बहनें चाहती हैं कि वह अपने भाई के लिए सबसे बढ़िया राखी खरीदे इसलिए महिलाएं दुकान-दुकान जाकर राखियों को देख रही हैं। डिजाइन से लेकर रंग तक महिलाएं जांच रही हैं। ज्यादातर महिलाएं सूती मौली ,चंदन व तुसली में बनी राखियां पसंद कर रही हैं तो कुछ महिलाएं स्टोन वर्क की राखियां खरीद रही हैं।
राखी का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा कथाओं अनुसार आदिकाल से चली आ रही है। समय बदला, युग बदले लेकिन रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा लगातार चली आ रही है जो कि अब राखी के नाम से भी जानी जाती है। समय के अनुसार रक्षाबंधन को मनाने की विधियां भी बदली लेकिन कुछ भाई बहन ऐसे भी हैं जो अब भी इस पर्व को परंपरागत रूप से मनाना चाहते हैं और मना भी रहे हैं।
इस संबंध में कुछ लोगों से की गई बातचीत:
राहुल कहते हैं कि हम सारा साल झगड़ते हैं पर इस दिन नहीं। यह दिन मेरे और मेरी छोटी बहन वर्षा के लिए बहुत खास रहता है। हम बड़े स्नेह के साथ इस दिन को मनाते हैं। वह मेरे लिए खूबसूरत राखी लाती है और मैं उसके लिए खूबसूरत उपहार। हम राखी के इस खूबसूरत पल को कैमरे में कैद कर लेते हैं: राहुल
कल्पना का कहना है कि मैं अपने भाई को विधिवत व परंपरागत तरीके से राखी बांधती हूं। इस दिन मैं चंदन, तिलक, रोली, दीपक ,फूल व मिठाई से राखी की पूजा की थाल खुद सजाती हूं। साथ ही खुद घर पर मिठाई भी बनाती हूं और शुभकामनाओं के साथ भाई की कलाई में राखी बांधती हूं: कल्पना
राखी हमारी प्राचीन परंपरा है। देवी देवताओं और ऋषि-मुनियों से शुरू हुई रक्षा सूत्र बांधने की यह परंपरा आम मानव जीवन में भी शामिल हो गई। आज हर घर में भाई बहन इस पर्व को खुशी से मनाते हैं। अपने नन्हे पोता-पोती के लिए राखी खरीदने आए दादा रमेशचंद्र कहते हैं कि आज बदलते माहौल के साथ त्योहार के भी रंग रूप बदल गए हैं जहां पहले त्योहार आत्मीयता के साथ मनाए जाते थे वहीं आज इस त्यौहार में भी औपचारिकता का रंग चढ़ गया है: रमेश चंद
मैं अपने भाइयों के लिए परंपरागत चंदन ,तुलसी व मौली से बनी राखियां लेना ही पसंद करती हूं और हर बार की तरह इस बार भी मैंने यही ट्रेडिशनल राखियां ली है क्योंकि इनका महत्व अध्यात्मिक तौर पर भी है। इस दिन हम सब भाई बहनों की कोशिश रहती है कि हम सब जहां भी रहें, इस दिन को एक साथ मिलकर खुशी से मनाएं: कोमल