शिमला,15 जुलाई: राजा वीरभद्र सिंह उसके जन्म दाता नहीं थे पर फिर भी उसके अपने सगे पिता से भी बढ़कर थे। वह अपने बचपन से ही उनको देखता आ रहा था और उनकी छत्रछाया में रह कर उनके जैसा ही बनना चाहा था लेकिन वह उसको छोड़ कर चले गए। राजा वीरभद्र सिंह के बिना उसे ऐसे लगता है जैसे उसका सब कुछ खत्म हो गया। उसके जीवन का उद्देश्य उनके साथ ही कहीं खो गया। उनके बिना उसे अपने जीवन पथ पर अंधकार नजर आ रहा है। ये हाल उन असंख्य लोगों का है जो वीरभद्र सिंह से कहीं बहुत गहरे जुड़े हुए थे। इनमें से रोहड़ू तहसील नावर टिक्कर के रहने वाले अक्षय सिंह नैंटा का भी यही हाल है। राजा वीरभद्र सिंह के जाने से वह अपने जीवन में रिक्तता महसूस कर रहे हैं। राजा वीरभद्र सिंह जाते-जाते न जाने कितनों के जीवन को सुना कर गए। लोग उनके जाने से बेहद आहत व ग़मगीन हैं।
शास्त्रों में वर्णित हर कर्म का कर रहे हैं पालन,करवाया मुंडन:
अक्षय जिला कांग्रेस कमेटी शिमला के सह-संयोजक हैं। वह अपने प्रिय नेता व राजा वीरभद्र सिंह के अस्वस्थता के समय से ही उनके साथ थे और अंतिम सफर पर भी साथ ही बने रहे। अक्षय राजा वीरभद्र सिंह के जाने से पूरी तरह टूट चुके हैं। अक्षय वीरभद्र सिंह के निधन पर हर उस कर्तव्य व कर्म का पालन कर रहें हैं जो पिता के जाने के बाद एक पुत्र के लिए शास्त्रों में वर्णित हैं। वह रामपुर में वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार के सभी कर्मों व कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं जो कि पुत्र विक्रमादित्य सिंह निभा रहे हैं। अक्षय ने भी अपना मुंडन करवाया है और शास्त्रों में लिखित कर्मों का निर्वाहन कर रहे हैं।
राजा वीरभद्र सिंह की छत्रछाया व स्नेह में भर रहा था जन्म देने वाले पिता की मृत्यु का दुःख:
रामपुर में जब उनसे मुंडन करवाने का कारण पूछा गया तो अश्रुपूरित व टूटे शब्दों में उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन हुआ है और उन्होंने उनके लिए ही मुंडन करवाया है। उन्होंने बताया कि वह राजा वीरभद्र सिंह को अपने पिता से भी कहीं बढ़कर मानते थे हालाकिं उनके असल पिता की मृत्यु भी हो चुकी है लेकिन वह पिता तुल्य राजा वीरभद्र सिंह के निधन से पूरी तरह टूट चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें जन्म देने वाले पिता की मृत्यु का दुख राजा वीरभद्र सिंह की छत्रछाया व स्नेह में भर रहा था लेकिन वह भी अब उन्हें छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा कि राजा वीरभद्र सिंह जैसा न कोई था न होगा। उनकी जगह कभी कोई नहीं ले पाएगा।
राजा वीरभद्र सिंह के साथ गुजारे हर उस पल को याद करते हुए अक्षय ने भावुकता से बताया कि जब वह बहुत छोटे से थे तभी से वह उनके पदचिन्हों पर चल कर उनकी तरह ही बनना चाहते थे। उन्होंने बताया कि आज राजा वीरभद्र सिंह की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। उनके जाने से लोगों को न केवल राजनैतिक स्तर पर क्षति हुई है बल्कि सामाजिक तौर पर भी क्षति हुई है। उन जैसे असंख्य जरूरतमंदो व गरीबों के मसीहा उन्हें छोड़ कर चले गए हैं।
आजीवन उनके बताए व सिखाए आदर्शों पर चलूंगा:
अक्षय मृत्योपरांत निभाए जाने वाले सभी कर्मों को निभा रहे हैं जो एक पुत्र के लिए निर्धारित हैं। उन्होंने अपना मुंडन करवाया है। उन्होंने बताया कि वह अपने इन पिता के लिए सभी कर्म करेंगे। वह निरंतर भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। अक्षय चाहते हैं कि यह परम आत्मा जल्द से जल्द पुनः इसी भूमि पर जन्म ले अपनी प्रजा के बीच आएं। उन्होंने कहा कि वह अपना जीवन राजा वीरभद्र सिंह को समर्पित कर चुके हैं और वह आजीवन उनके बताए व सिखाए आदर्शों पर चलेंगे साथ ही उनके बाद गद्दी पर बैठे नए राजा विक्रमादित्य सिंह की सेवा में एक छोटे भाई की तरह हर समय मौजूद रहेंगे।